हम भारत मूल के रहने वाले विकास क्रम से एक दौर से गुजर रहे हैं । हमारी प्राथमिकताएं शिक्षा , स्वास्थ्य आर्थिक-सामाजिक समपन्न्ता जैसी तमाम बातें हैं । फ़िर क्यों हम आम लोगों को देश के दो बड़े राजनीतिक दल अपने निहित स्वार्थों में घसीट कर मरवाना चाहते हैं , मंदिर-मस्जिद का मुद्दा लोगों की आध्यात्मिक भावना से जुड़ा है बस इस बिना पर ही लोगों के प्राणों की आहूति ले कर देश में राज करना-अपनी झोलियाँ भरना चाहते हैं हमारे कथित नेता गण ? और आम आदमी भी भावावेश में आकर दंगा-फ़साद करता, अपने-अपनो को मारता-काटता चला जाता है ,भला कैसी समझदारी है यह ? कोई बताएगा ? ऐसा करने से हम आम लोगों का क्या और कैसे भला होगा ? भला तो उनका होगा जो बड़ी-बड़ी एयर कंडीशन्ड कोठियों में रहते हैं , बिना किसी रोजी - रोजगार के बैठे-बिठाए ही करोड़पति , अरबपति बन बैठते हैं । क्या लोगों को जागरुक नहीं होना चाहिए ? क्या मीडिया को इस दिशा में जागरण का कार्य नहीं करना चाहिए ? क्या आपस की बोलचाल , भेंट-मुलाकात में , बैठकों में यह चर्चा का , जन जागरण का विषय नहीं होना चाहिए ? या फ़िर पुलिस की लाठियाँ - गोलियाँ इस विषय का जवाब है ? आम हिन्दु-मुसलमानों की सरेआम हत्या , लूट , आगजनी इसका जवाब है ? क्या अब भी आम लोगों को नहीं समझना चाहिए कि क्या कौन और क्यों करवा रहा है ? समझने की बात तो यह भी है कि ईश्वर-अल्लाह किसी पत्थरों के बीच नहीं बल्कि आस्थावान लोगों के हृदय में होते हैं।अयोध्या मामला फ़िर डरा रहा है ,आम भारतियों को । फ़ैसला आने से पहले ही एहतियातन समूचे देश भर में की गई पुलिस गस्तें , अघोषित फ़्लैग मार्च से जनमानष में भय व्याप्त है । कौन है जिम्मेदार इन परिस्थितियों के लिए , उसे सजा क्यों न दी जाए ? जाति और धर्म की आड़ में राजनीति करने वालों को चिन्हित किया जाना क्या जरूरी नहीं हो गया है ?
क्या सुप्रीम कोर्ट आम आदमी की आवाज सुनेगी ?
एकता का प्रयास चाहें तो इनसे सीखें । नीचे दी गई पोस्ट पर वीडिओ देखें -
लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
सितंबर 24, 2010
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सच कहा आपने । हम सब को समझना ही चाहिए । वर्षों से यह कहा बोला और बताया जा रहा कि लोगों को आपस में लडा कर , आपस में फ़ूट डाल कर अंग्रेजों की ही तरह ये नेता भी मौज कर रहे हैं । जनता को तो समझना चाहिए । अफ़सोस कि कोई समझना ही चाहता है । आपका प्रयास सराहनीय है , सफ़ल हो । बेस्ट ऑफ़ लक ।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच कहा इस पोस्ट के माध्यम से आपने, अब हमें जागरूक होकर ऐसे लोगों को जवाब देने की आवश्यकता है .............सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें !!
जवाब देंहटाएंKya Mandir ya Masjid kisi ki jaan se zyada important hai.Waha bani Mazjid ya Mandir jo bhi ho nestanabood karo aur wahan VRIDHA ASHRAM ya ANATH ASHRAM banaya jae.NA RAHEGA BAANS NA BAJEGI BANSI.
जवाब देंहटाएंआशा है आपने मेरे ब्लॉग akaltara.blogspot.com पर 'राम-रहीमःमुख्तसर चित्रकथा' का अवलोकन किया होगा.
जवाब देंहटाएंab vakt aa gaya hai aise logo ko benakab karne ka
जवाब देंहटाएंआपकी रचना पड़कर मज़ा आ गया बहुत सही कहा है आपने अगर जागने की जरुरत है तो सोई हुई जनता को इतना सब देखते और समझते हुए भी वो इस तरह के दंगे फसादों मै अपना समय बर्बाद करते हैं और इन सब का श्र्ये बड़े २ घरो मै बेठे लोग ले जाते हैं क्या हमारे देश की जनता इतनी नादाँ है ? या समझना ही नहीं चाहती ?
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