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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

अक्तूबर 22, 2010

ऐसा होता क्यों है … ?


बहुत दिनों से एक बात दिमाग में कौंधती रही है कि किसी भी शादी में वर-वधु दोनो ही पक्ष बेहद खुश रहते हैं । खुशी-खुशी शादी होती है । सर्वाधिक खुशी माँ-बाप को होती है । खुशी का यह शायद अतिरेक का सा होता है जो अधिकांशतः बाद में कायम नहीं रह पाता , और तरह-तरह की कहानियाँ बनती हैं , माँ-बाप ही बाद में बेहद दुख का शिकार होते हैं । दुखद पक्ष देखने सुनने में आते हैं । अधिकांश बातें कोर्ट-कचहरी तक पहुंच जाती हैं । आपसी समझ , प्रेम , मान-मर्यादा , धैर्य, त्याग इन सब बातों की जगह स्वार्थ और वैमनस्य-प्रतिशोध का भाव ले लेता है ।यह मानवीय स्वभाव समझ से परे हो गया , आखिर ऐसा क्यों होता है ? अखबार ऐसी खबरों से रंगे रहते हैं क्यों ??? क्या आप बता पायेंगे ?

3 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन परिवर्तनशील है, ऐसा न हो तो प्रश्‍न उठना स्‍वाभाविक होगा.

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  2. Bhai saheb aap ke prashan par jawab dena chota muh aur badi baat hogi mere liye lekin itna marmik prshan ka jawab diye bina mujhe chain bhi nahi aayega. Mujhe sab baaton ka saar yehi dikhta hai ke pahele bhi shadiyan hoti thi lekin ab ki shadiyon mae hi ye sari dikkaten hai na ki purani shadi mae. iska ka ek hi karan hai ki aaj humare bacche sanskaar hin hai,badi sharam aa rahi hai ye kahte hue lekin aaj mae ye kya sanskaar de raha hun apne bacchon ko,dada abbu ko gran paa dadi amma ko grany ammijaan ko mummy, ye to choti baten hai aaj ghar ke andar jane kya kya swan rache jate hai aur wahi sab dekhte hue aaj bacche bade ho rahe hai.
    Jab Beej hi kante ka boya hai to ped par phal ki kamna vyarth hai.
    Dhanyavaad ke sath chama prarthi, Apka Chota Bhai

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  3. संस्कारगत कारणों से ऐसी बातें देखने-सुनने को मिलती हैं । ये तो बड़ों को ही सोचना होगा कि वह अपने बच्चों को कैसा भविष्य देना चाहते हैं । कैसे संस्कार , क्या सोच कर देना चाह्ते हैं , ऊपर मैट्रिक्स की बातें भी गौर करने लायक हैं ।

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आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए कोटिशः धन्यवाद ।

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