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रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा   :  मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।

जनवरी 04, 2011

'शहीद स्मारक' की सार्थकता पर प्रश्नचिन्ह : एक अच्छी लेकिन चिंताजनक खबर " देशबन्धु " से


रायपुर  जी ई रोड पर स्थित शहीद स्मारक भवन का भव्य निर्माण एक बड़ी उपलब्धि है। निर्माण समिति से जुड़े कार्यकारिणी निश्चित रूप से बधाई के पात्र तो हैं ही, विडम्बना यह है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रदेश सेनानियों को समर्पित इस भवन की सार्थकता का अब कोई मायने नहीं रह गया है।
13 अगस्त वर्ष 03 में अखिल भारतीय फ्रीडम फाइटर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शशिभूषण वाजपेयी के मुख्य आतिथ्य में एवं छग प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की अध्यक्षता तथा सांसद पं. श्यामाचरण शुक्ल के विशेष आतिथ्य में स्मारक भवन का शुभार्पण हुआ था, तब सेनानियों ने यह कभी नहीं सोचा होगा कि उन्हें अवसर पाते ही नेपथ्य में ढकेल दिए जायेंगे वे अपनी उपेक्षा को तो सहते आ रहे हैं, लेकिन स्मारक की दुर्दशा और अव्यवस्था पर उन्हें कड़ा एतराज है। शहीद स्मारक भवन का प्रबंधन जब से निगम के हाथों गया है, आय का स्रोत तो बढ़ा ही है, लेकिन आय स्रोत का एक धेला भी सेनानी समिति के फंड में नहीं जाता। वहीं भवन का रखरखाव भगवान मालिक है। चारों तरफ फैली गंदगी शाम होते ही असमाजिक तत्वों का डेरा अव्यवस्थित पार्किंग यहां तक कि संडास और मूत्रालय भी गंदगी और बदबू से भरे होते हैं। इस गुंबजनुमा सभागार एवं भवन काम्पलेक्स में रंग-रोगन नहीं हुए, सालों बीत गए। गौरतलब है कि इस भवन का निर्माण जिला प्रशासन, नगर पालिक निगम एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की मदद से किया गया था। उस समय निर्माण समिति में स्व. कमल नारायण शर्मा, स्व. हरि ठाकुर, स्व. नारायण राव अंबिलकर, स्व. नारायण दास राठौर, धनीराम वर्मा, मोतीलाल त्रिपाठी, रणवीर सिंह शास्त्री जैसे सेनानियों के नेतृत्व का उल्लेखनीय योगदान रहा है।
जिस फ्रीडम फाइटर्स के नेतृत्व में शहीद स्मारक भवन में वर्षभर की गतिविधियों को संचालित कराया जाना था, वह आज दूर की कौड़ी हो गई है। राजधानी में गिनती के बचे-खुचे वयोवृध्द स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को आवश्यक बैठकें लेनी हो तो उन्हें कई सीढ़ियां पार करके सबसे ऊपर कोने के भवन में ढकेल दी जाती है। बताईये जिस भवन पर उनका पूरा अधिकार मिलना चाहिए था वहां उनका अपना कोई बैठक कक्ष भी नहीं है। इतने बड़े भवन में लिफ्ट की व्यवस्था तो दूर शिफ्ट की व्यवस्था भी नहीं है, जो एक उम्रदराज बुजुर्ग के लिए जरूरी होता है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्राय: स्वाभिमानी होते हैं, वे स्वयं आपस में चंदा इकट्ठा कर बैठकें एवं किसी कार्यक्रम को अंजाम देते रहे हैं, लेकिन क्या शासन-प्रशासन कार् कत्तव्य नहीं बनता कि प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी संगठन को आर्थिक रूप से सक्षमता प्रदान की जाए, ताकि वे वर्षभर की गतिविधियों को स्वतंत्र रूप से संचालित कर सकें। ऐसा नहीं है कि जिला और निगम प्रशासन को शहीद स्मारक भवन से मिलने वाली आय-व्यय के स्रोत में कमी हो प्रतिदिन का हिसाब ही देखें तो सभागार का एक दिन का किराया 8 से 12 हजार, विद्युत व्यय 2 हजार रुपये, सफाई व्यवस्था 500 रुपये, कमरा आबंटन के लिए अमानत राशि दस हजार रुपये, म्यूजियम आर्ट गैलरी का प्रतिभाग का किराया 5 हजार रुपये, इसके अलावा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से मिलने वाला नियमित किराया तो अलग, बावजूद इसके स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों के संस्था को फूटी कौड़ी नहीं मिलती। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की स्मृति शिलालेख कक्ष तो है लेकिन कहीं किसी दीवार पर किसी एक की भी छायाचित्र आप टंगे हुए नहीं पायेंगे।
ब्लॉग में इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद कुछ गैर राजनीतिक युवकों ने 05 जनवरी की शाम 'शहीद स्मारक भवन' पहुंच कर मोमबत्तियाँ लगा कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
स्मारक भवन को पूर्णरूपेण कम्प्युनिटी हॉल जैसे बना देना चिंता का विषय है। लायब्रेरी में देशभक्ति पूर्ण प्रेरणास्पद पुस्तकें हो तो बेहतर होगा। हमारे संगठन को भवन से मिलने वाली आय स्रोत का एक अंश नहीं मिलता। बैठकें लेनी हों तो आपस में खर्चे का जुगाड़ कर लेते हैं।         (साभार : देशबन्धु , रायपुर)

12 टिप्‍पणियां:

  1. चिंताजनक स्थिति. लेकिन देश में देर-सबेर सभी स्मारक ऐसी ही स्थिति में ढकेले जाते दिख रहे हैं ।

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  2. Jis VICHARDHARA ka AAJADI KE AANDOLAN me koi yogdaan nahi tha, us vichardhara aur Mansikta ke logon se aap kyon umeed karte hai ki woh FREEDOM FIGHTERS ke liye kutch karenge. Woh to kewal MISA BANDIYON ko FREEDOM FIGHTERS samajte hai aur unke liye PENSION SCHEME shuru hoo gayi hai.
    Is desh/pradesh ki NAADAN JANTA kyon GODSE KI SANTAANO ke peeche padi hai.

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  3. बिलकुल यही हाल पुरे देश का हे जी. धन्यवाद

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  4. इस खबर ने अंतर्मन को झकझोर दिया ...जिस देश को आजाद करवाने में हमारे देश के वीरों ने अपनी जान की परवाह तक नहीं की आज उनके साथ ऐसा सलूक किया जाता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते ...काफी चिंताजनक स्थिति है देश की ..आपका आभार इस खबर को हम तक पहुँचाने के लिए ..शुक्रिया

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  5. Mrs. Kiranmayee Nayak should immediately look into the matter. BJP's Sunil Soni was the Mayor and he did not do anything to improve the condition of SHAHEED SMARAK throughout his tenure but now we hope some concrete steps to be taken by the Mayor, who comes from Congress.

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  6. शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले !
    वतन पे लुटने वालों का यही बाक़ी निशां होगा !!

    बहुत अच्छी पोस्ट ! उनके चले जाने के बाद उन्हें पूछना तो दूर उनके परिवार की ही खबर कोंन लेता है दोस्त !
    नाम उनके होता है और हजम कोई और लोग कर जाते हैं !

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  7. Ashutosh ji,

    padh kar bahut dukh hua !

    Rajniti ne desh ko barbaad kar diya hai !

    dhanyawaad,aisi khabaron se jaagrukata ka sanchaar hota hai !

    -Gyanchand marmagya

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  8. Important is that after reading the post what are we going to do,some will curse the Govt. Some will hold RSS responsible for this,as many comments as many excuses.
    I will go to SHAHEED SMARAK today evening and will lit at least 10 Candles in memory of the SHAHEEDS .

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  9. आपका विचार अच्छा है matrix . आपको साधुवाद । हम आपके साथ हैं। लेकिन हमें लगता है स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का जीवित रहते तक शॉल - श्रीफ़ल से सम्मान , मरणोंपरात मोमबत्ती ? क्या इससे भला होगा शहीद परिवारों - स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का ? क्या सही मायने में यह सम्मान होगा शहीदों का ? हमारी बेईमानी शहीदों - स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी नहीं बक्श रही है । हमारे इरादे साफ़ नहीं हैं । इसके लिए कुछ हो , जरूरी यह भी है , शायद ज्यादा जरूरी यही है ।

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  10. सभी स्मारकों की स्थिति more or less ऐसी ही है जो चिंताजनक है.

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  11. कल्पना नहीं कर्म ................संजय भास्कर
    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
    धन्यवाद

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आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए कोटिशः धन्यवाद ।

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