संवेदना तुम कहाँ हो ?
लोग तो कहते हैं कि तुम मर गई ,
क्या यह सच है कि तुम
अब नहीं रही ?
कहते हैं मानवता में तुम्हारा वास था ,
मर्यादा तुम्हारा लिबास था ।
हर सांस में वेदना का साथ था ,
जुबां पर तुम्हारी, दया-करूणा का वास था ।
हमें लगता है, तुम मरी नहीं, यहीं-कहीं हो ,
जहां कहीं भी हो आ जाओ ।
वेदना को तुम्हारी तलाश है , मर्यादा को तुम्हारे आने की आस है ।
तुम बिन दया - करूणा उदास है ,
मानवता को तुम्हीं से जीवन की आस है ।
- आशुतोष मिश्र
( 14 सितम्बर 1993 )
लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।
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आपकी कविता बड़ी अच्छी लगी , संवेदना केवल कागजी या जुबानी ना हो बल्कि आत्मीय होनी चाहिए,इस तलाशी में हम भी आपके साथ है ..अशोक बजाज
जवाब देंहटाएंगहरी अभिव्यक्ति. धन्यवाद भईया.
जवाब देंहटाएंगहरी अभिव्यक्ति, धन्यवाद भईया.
जवाब देंहटाएंसुंदर भावाभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंSamvedna punah jagrit hogi aisa vishwas hai.
जवाब देंहटाएंMishraji,
जवाब देंहटाएंHam bhi SAMVEDNA ke aane ka intejar kar rahe hai.
आपकी कविता अच्छी लगी । इसी तरह लिखते जाइए ।
जवाब देंहटाएंअभिलाषा