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पिछले साल जप्त किया गया नकली खोवा |
लगी खेलने लेखनी, सुख-सुविधा के खेल। फिर सत्ता की नाक में, डाले कौन नकेल।। खबरें वो जो आप जानना चाह्ते हैं । जो आप जानना चाह्ते थे ।खबरें वो जो कहीं छिपाई गई हों । खबरें जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो । ऐसी खबरों को आप पायेंगे " खबरों की दुनियाँ " में । पढ़ें और अपनी राय जरूर भेजें । धन्यवाद् । - आशुतोष मिश्र , रायपुर
मेरा अपना संबल
रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एसएमएस

रेलवे की एस.एम.एस. शिकायत सुविधा : मो. नं. 9717630982 पर करें एस.एम.एस. -- -- -- ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------- ट्रेन में आने वाली दिक्कतों संबंधी यात्रियों की शिकायत के लिए रेलवे ने एसएमएस शिकायत सुविधा शुरू की थी। इसके जरिए कोई भी यात्री इस मोबाइल नंबर 9717630982 पर एसएमएस भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। नंबर के साथ लगे सर्वर से शिकायत कंट्रोल के जरिए संबंधित डिवीजन के अधिकारी के पास पहुंच जाती है। जिस कारण चंद ही मिनटों पर शिकायत पर कार्रवाई भी शुरू हो जाती है।
अक्टूबर 31, 2010
क्या हमारे शहर आने वाला खोवा असली है ???
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चिंतन,
जानकारियाँ
अक्टूबर 30, 2010
नन्हें हांथों का कमाल …
दिवाली आई दिवाली आई , मेरी नन्हीं बिटिया अकुलाई , उसके नन्हें हांथों ने आंगन में देखो एक सुन्दर सी है रंगोली सजाई ।
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जीवन शैली
अक्टूबर 27, 2010
राज्योत्सव 2010 : नेताओं का सपरिवार आनंद मेला
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ये सारे नेता गर्व महसूस कर रहे हैं , दबंग अभिनेता सलमान खान का सम्मान करते हुए , और सलमान हैं कि यहाँ इस उदघाटन के कार्यक्रम में बमुश्किल 5 मिनट रुके और वापस उड़ लिए अपने उद्योगपति दोस्त के साथ । |
अक्टूबर 25, 2010
बहुत से पप्पू हैं कांग्रेस में
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नारायण सामी |
बीते दिनों कुछ हलचल सी मची थी रायपुर में उस वक्त जब कांग्रेस के केन्द्रिय मंत्री और छत्तीसगढ़ प्रदेश में कांग्रेस के प्रभारी नारायण सामी के ऊपर कालिख फ़ेंकी गई । हंगामा मचा , दूसरे दिन एक नाम सामने आया कि यह सब पप्पू फ़रिश्ता के इशारे पर हुआ है । नाम आने से पहले डरे- सहमे से बैठे रहे कांग्रेस नेता गण । डर इस बात का कि कहीं कोई उनका नाम ना घसीट ले इस काण्ड में ।
कालिख काण्ड में एक नाम सामने आते ही मानो सब खुशी से उछल - मचल गये कि चलो अपन तो बच गये, न जाने दूसरा - तीसरा गुट क्या करता मेरे खिलाफ़ ? अब इस बात का तो डर खत्म हुआ । सारे कांग्रेसी एक हो गये "दोषी पप्पू" को सजा दिलाने की दिखावटी और खुद को बचाने वाली मांग करने लगे । वहीं कुछ बडे कहे जाने वाले नेता इस बात का भी प्रयास करने लगे कि 'पप्पू' उनके दुश्मन का नाम ले दे कि उसके कहने पर उसने ऐसा किया है फ़िर 'पप्पू' को हाई कमान से ले जाकर मिलवाते हैं । यह प्रयास बंद हो गये हैं ऐसी बात भी नहीं है । इस बात के लिए यह भी प्रयास किये जा रहे हैं कि रायपुर के नगर भईया जो मंत्री भी हैं प्रदेश में, पप्पू उनकी बात तो मानता है , और मान ही लेगा , क्यों न उन मंत्री जी की मदद ली जाय बदले में उनके मामलों में अन्दर-बाहर से हम सहयोग करेंगे । कहने का सीधा सा मतलब यही कि सारी गुटबाजी पूरी तरह से सक्रिय है इस काण्ड के बाद एक - दूसरे को पटखनी देने के लिए । सामने वाले की लकीर मिटा कर अपनी लकीर को बड़ा बताने की कोशिश में लगे हैं कथित दिग्गज नेता गण यहाँ ।
इस पूरे प्रकरण में सर्वाधिक चिंता और दुख का विषय यह है कि देश और प्रदेश का कोई भी नेता यह सोचने - समझने को तैयार नहीं है कि आखिर किसी कांग्रेसी(पप्पू) को ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा ? प्रदेश में कांग्रेस का यह हाल कैसे ,क्यों और कब
हो गया ? कौन - कौन हैं इस दशा के निर्माण के लिए जिम्मेदार ? उनकी सजा भी कुछ होनी चाहिए या नहीं ? या सजा केवल छोटे मोटे पप्पूओं को ही ? क्या इससे सुधर जायेगी कांग्रेस की स्थिति ? छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से आज तक एक नेता का बस यही कहना है कि "मैं नहीं तो कांग्रेस नहीं" । क्या कांग्रेस के कथित हाई कमान तक यह आवाज नहीं पहुंची है या अनसुनी कर दी गई 'जार्ज' के कहने पर ? यहां कांग्रेस में एक नहीं तमाम पप्पू घूम रहे हैं जिन्होने अपना सब कुछ लुटाया है कांग्रेस के लिए और नया राज्य, नई सरकार बनते ही ऐसे निष्ठावान लोगों को दूध में से निकाल कर फ़ेंकी गई मक्खी की ही तर्ज पर पार्टी से निकाल फ़ेंका या फ़िर दरकिनार कर दिया गया है । नकली सिक्कों ने असली सिक्कों को मानो चलन से बाहर कर दिया है । पप्पू यहाँ प्रतीक मात्र है । जगह-जगह कांग्रेस को पराजय का मुंह क्यों देखना पड़ रहा है ? कांग्रेस को अपनी दशा-दिशा का गहन अध्ययन जरूर करना चाहिए पप्पू के बहाने ही सही ।
केंद्रीय मंत्री व छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी वी नारायण सामी पर मंगलवार 19 अक्टूबर की सुबह कुछ युवकों ने स्याही फेंक दी। सामी उस वक्त प्रदेश कांग्रेस प्रतिनिधियों की बैठक के लिए कांग्रेस भवन में जा रहे थे। स्याही फेंकने वाला युवक मौके से फरार हो गया।
हालांकि बाद में नारे लगाने वाले चार लड़कों को पकड़ लिया गया। मौके पर मिले पर्चे में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की उपेक्षा किए जाने की बात लिखी गई है। सामी प्रदेश चुनाव अधिकारी श्रीमती विप्लव ठाकुर और सांसद चरणदास महंत के साथ जैसे ही कांग्रेस भवन पहुंचे, करीब 20 से 22 कार्यकर्ताओं ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नारे लगाने शुरू कर दिए। इन्हीं में एक लड़के ने शीशी में भरी काली स्याही सामी पर फेंकी। सामी के कपड़ों के अलावा चेहरे पर भी स्याही के छींटे पड़े। उनके साथ खड़े महंत के कपड़ों पर भी स्याही लग गई।
जब लड़कों को पकड़ने की कोशिश की गई तो स्याही फेंकने वाला युवक मौके से भाग गया। इस बीच नारे लगा रहे चार लड़कों की पिटाई कर दी गई। बाद में उन्हें पुलिस को सौंप दिया गया। पकड़े गए लड़के रायपुर के हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रदर्शनकारी युवक नशे में धुत थे।
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खबर
अक्टूबर 24, 2010
रायपुर में सेना के साहसिक कारनामों से जमीन से आसमान तक छाया रोमांच
छत्तीसगढ़ में पहली बार राजधानी रायपुर में 'राष्ट्र प्रहरी' की अवधारणा पर अपनी सेना को जाने नाम से सैन्य मेले का आयोजन किया गया है। इस मेले के प्रति छत्तीसगढ़ की जनता विशेषकर युवाओं, किशोरों और बच्चों के अपार उत्साह और उमंग तथा उनके इस मेले के प्रति आकर्षण को देखते हुए इसकी अवधि दो दिन से बढ़ाकर तीन दिन की गई। आज रविवार को मेले के समापन अवसर पर 22 अक्टूबर को तेज बारिश के कारण निरस्त सभी साहसिक और जांबाजी से भरें प्रदर्शनों को फिर से किया गया।
डेयर डेविल्स नाम से प्रसिध्द मोटर साइकिल सवारों ने कम्पनी हवलदार राजेश कुमार के नेतृत्व में आग के गोले के बीच से निकलकर टयूब लाईट की दीवार तोड़ने, ईटों की छद्म दीवार तोड़ने सहित पिरामिड और कमल की आकृति बनाने तथा अन्य रोमांचक प्रदर्शन किए। भारतीय वायु सेना के माइक्रोलाइट नन्हें प्लेनों ने भारतीय सेना के झण्डे फहराते हुए मैदान में गोता लगाया और जमीन से काफी नजदीक आकर फिर से आसमान की राह पकड़ी। इसी तरह पैरा मोटर के नाम से प्रसिध्द तथा छोटे से मोटर की सहायता से उड़ने वाले ग्लाइडर ने लम्बे समय तक पुलिस परेड मैदान के चारों ओर घुमते हुए दर्शकों को लुभाया और अंत में मैदान में उतर कर दर्शकों को रोमांचित किया। राडार की पकड़ से बचने के कारण ऐसे माइक्रोलाइट और पैरामोटर सरहद पार जाकर दुश्मन की गोपनीय गतिविधियों की जानकारी लेने में सक्षम है। सेना के गुड़सवारों ने तेज गति से दौड़ते हुए भाले से अपना शिकार पकड़ा और मैदान में बनाए गए सभी बाधाओं को पार किया। मैदान में प्रदर्शित हाट एयर बैलून भी दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र बना रहा। जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादी हमलों को नाकाम करने के लिए चलाए गए ऑपरेशन 'रक्षक' तथा श्रीलंका में चलाए गए ऑपरेशन 'पवन' में दुश्मनों से लड़ते हुए विकलांग बने सेना के पांच वीर सैनिकों को राज्यपाल ने विशेष स्कूटर प्रदान किया। सिक्ख रेजीमेंट द्वारा भागड़े का उत्साहपूर्ण प्रदर्शन भी किया गया।
डेयर डेविल्स नाम से प्रसिध्द मोटर साइकिल सवारों ने कम्पनी हवलदार राजेश कुमार के नेतृत्व में आग के गोले के बीच से निकलकर टयूब लाईट की दीवार तोड़ने, ईटों की छद्म दीवार तोड़ने सहित पिरामिड और कमल की आकृति बनाने तथा अन्य रोमांचक प्रदर्शन किए। भारतीय वायु सेना के माइक्रोलाइट नन्हें प्लेनों ने भारतीय सेना के झण्डे फहराते हुए मैदान में गोता लगाया और जमीन से काफी नजदीक आकर फिर से आसमान की राह पकड़ी। इसी तरह पैरा मोटर के नाम से प्रसिध्द तथा छोटे से मोटर की सहायता से उड़ने वाले ग्लाइडर ने लम्बे समय तक पुलिस परेड मैदान के चारों ओर घुमते हुए दर्शकों को लुभाया और अंत में मैदान में उतर कर दर्शकों को रोमांचित किया। राडार की पकड़ से बचने के कारण ऐसे माइक्रोलाइट और पैरामोटर सरहद पार जाकर दुश्मन की गोपनीय गतिविधियों की जानकारी लेने में सक्षम है। सेना के गुड़सवारों ने तेज गति से दौड़ते हुए भाले से अपना शिकार पकड़ा और मैदान में बनाए गए सभी बाधाओं को पार किया। मैदान में प्रदर्शित हाट एयर बैलून भी दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र बना रहा। जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादी हमलों को नाकाम करने के लिए चलाए गए ऑपरेशन 'रक्षक' तथा श्रीलंका में चलाए गए ऑपरेशन 'पवन' में दुश्मनों से लड़ते हुए विकलांग बने सेना के पांच वीर सैनिकों को राज्यपाल ने विशेष स्कूटर प्रदान किया। सिक्ख रेजीमेंट द्वारा भागड़े का उत्साहपूर्ण प्रदर्शन भी किया गया।
राज्यपाल ने टैंक, मिसाइल और रक्षा उपकरणों की ली जानकारी
रोमांचक कारनामों के अवलोकन के उपरांत राज्यपाल ने सैन्य मेले में लगाए गए विभिन्न स्टालों पहुंचकर उनका जायजा लिया। राज्यपाल ने यहां बड़ी संख्या में तथा अलग-अलग विशेषताओं भरें रॉकेट लान्चर, मशीन गन, एम.एम.जी, मोर्टार, अत्याधुनिक संचार उपकरण रेडियो सेट, आदि का अवलोकन किया। उन्होंने भारतीय थल सेना के टी-72 अजय टैंक, ब्रम्होस मिसाइल, बोफोर्स तोप के साथ-साथ भी अत्याधुनिक एवं विशालकाय रक्षा उपकरणों का भी अवलोकन किया। छत्तीसगढ़ और उड़ीसा सब एरिया मुख्यालय, रायपुर के ब्रिगेडियर ए. कृष्णन, कर्नल राजीव खुल्लर और लेफ्टिनेन्ट कर्नल लोकेश सक्सेना ने राज्यपाल को इन रक्षा उपकरणों की विस्तार से जानकारी दी। राज्यपाल श्री दत्त ने यहां सैनिक स्कूल, एन.सी.सी., सैनिक कल्याण, सेन्ट्रल आर्डिनेन्स डिपो जबलपुर, सेना भर्ती कार्यालय रायपुर आदि के स्टाल पहुंचकर प्रदान की जा रही महत्पूर्ण जानकारी तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (डी. आर. डी. ओ,) में प्रदर्शित अग्नि तथा अन्य उपकरणाें के मॉडलों तथा अन्य अनुसंधान कार्यो की विस्तार से जानकारी प्राप्त की।
राज्यपाल का अनुरोध : 'कदम-कदम बढ़ाए जा' गीत पर बजी धुन
स्टालों के अवलोकन के अवसर पर जब राज्यपाल ब्रास बैंड और पाईप बैंड बजाने वाले जवानों के पास पहुंचकर सब मेजर पाल सिंह तथा सब मेजर ए. के. डे.और बैंड के सदस्यों को शानदार और यादगार प्रस्तुति के लिए बधाई दी तो उन्होंने राज्यपाल की इच्छा जानकर उनके अनुरोध पर 'कदम-कदम बढ़ाए जा' तथा 'ये देश है वीर जवानों का' गीतों के धुन सुनाई। उल्लेखनीय है राज्य में पहली बार सेना के इतने बड़े बैंड दल ने प्रदर्शन किया है। इस अवसर पर ब्रास बैंड के अंतर्गत सिक्ख रेजीमेंटल सेन्टर, बिहार रेजीमेंट सेन्टर, ए. एस. सी. सेन्टर नार्थ, ए.ए.डी. सेन्टर, जे.ए.के. आर.आई. एफ. सेन्टर तथा पाईप लाईन बैंड के अंतर्गत ग्रेनेडियर रेजीमेंटर सेन्टर, 39 जी. टी.सी. सिक्ख रेजीमेंटल सेन्टर, ए.ए.डी. सेन्टर, ए.एस.सी. सेन्टर नार्थ ने एक साथ प्रदर्शन किया है।
आग के गोले को मोटर सायकल से पार करता जवान , सैकड़ों ट्यूब लाईट्स को फ़ोड़ते निकलता सेना का जवान .
Document A
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खबर
अक्टूबर 22, 2010
ऐसा होता क्यों है … ?
बहुत दिनों से एक बात दिमाग में कौंधती रही है कि किसी भी शादी में वर-वधु दोनो ही पक्ष बेहद खुश रहते हैं । खुशी-खुशी शादी होती है । सर्वाधिक खुशी माँ-बाप को होती है । खुशी का यह शायद अतिरेक का सा होता है जो अधिकांशतः बाद में कायम नहीं रह पाता , और तरह-तरह की कहानियाँ बनती हैं , माँ-बाप ही बाद में बेहद दुख का शिकार होते हैं । दुखद पक्ष देखने सुनने में आते हैं । अधिकांश बातें कोर्ट-कचहरी तक पहुंच जाती हैं । आपसी समझ , प्रेम , मान-मर्यादा , धैर्य, त्याग इन सब बातों की जगह स्वार्थ और वैमनस्य-प्रतिशोध का भाव ले लेता है ।यह मानवीय स्वभाव समझ से परे हो गया , आखिर ऐसा क्यों होता है ? अखबार ऐसी खबरों से रंगे रहते हैं क्यों ??? क्या आप बता पायेंगे ?
अक्टूबर 20, 2010
आदमी
एक मित्र की दुकान में रुक कर उसका हालचाल जानना चाहा , इसी बीच एक ग्राहक ने दुकान में आकर शैम्पू देने को कहा , मित्र ने ग्राहक से ब्राण्ड और क्वांटिटी पूछी । खरीददार ने उल्टा पूछा अच्छा क्या रहेगा । मित्र ने उसे समझाना शुरु किया देखिए यदि आप शैम्पू का शैशे लेते हैं तो उतनी ही मात्रा आपको आधी कीमत पर मिल सकती है यानि कि 100 एम एल के 30 शैशे आपको 28 रुपये मे मिलेंगे , और इतनी ही मात्रा इसी कम्पनी की आप यदि बॉटल पैक लेते हैं तो 45 रुपये ,दूसरी कम्पनियों के लगभग 60 में आएंगे ,बोलिए क्या दूं । उस समझदार आदमी ने बिना देर किये शैम्पू की बॉटल खरीदी और कारण समझाया कि दरअसल शैशे तो उसकी कामवाली बाई भी लेती है न , फ़िर वह भी वही ले , अच्छा नहीं लगता ।
अक्टूबर 16, 2010
विजयादशमी की शुभ कामनाएं - बहुत बहुत बधाईयाँ
आईये विजयादशमी के शुभ अवसर
पर मिठाईयाँ - पान खाईये ।
शुभ कामनाएं ।
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जीवन शैली
अक्टूबर 13, 2010
संस्कार
रानी माँ ने अपने लाडले राजू की शादी अभी कोई महिने भर पहले ही की थी । एक सुबह की बात थी कि माँ आँगन बुहार रही थी । बुहारने की आवाज से राजू की नींद खुल गई । कमरे से बाहर आकर बेटे ने माँ से कहा माँ तेरी तबियत ठीक नहीं है , ला झाडू मुझे दे मैं बुहार देता हुं , माँ ने कहा नहीं बेटा यह मैं कर सकती हूं -कर लूंगी , तू रहने दे । बेटा जिद्द करने लगा और माँ भी उससे काम करवाने को तैयार न हुई । इसी शोर शराबे से बहू की भी नींद खुल गई , उसने बाहर आकर माँ-बेटे का संवाद सुना , माजरा भी समझने में उसे देर न लगी । बहू ने अपने पति को समझाते हुए कहा आप जिद्द क्यों कर रहे हैं माँ जी की बात क्यों नहीं मानते , आज माँ को बुहारने दीजिए न , कल आप बुहार लीजिएगा ।
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लघु कथा
अक्टूबर 09, 2010
राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी का परिणाम है नक्सलियों का लगातार आगे बढ़ना
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नक्सली प्रशिक्षण -आंदोलन वनांचलों में |
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शहीदों को श्रद्धांजलि देते प्रदेश के राज्यपाल - मुख्यमंत्री , अन्य मंत्रीगण-अधिकारी |
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खबर
अक्टूबर 07, 2010
कांग्रेस आलाकमान क्या सही में चिंतित होंगी छत्तीसगढ़ में पार्टी की दशा-दिशा से ???
अविभाजित मध्यप्रदेश कभी कांग्रेस का अभेद गढ़ था । गाँव-गाँव में कांग्रेस का परचम लहरता था । आज हालात एकदम विपरीत हैं । सच्चाई यह है कि आज भी कांग्रेस को यहाँ छत्तीसगढ़ में सिर्फ़ और सिर्फ़ कांग्रेस ही जगह-जगह पराजय की ओर धकेल रही है । कांग्रेस में यहाँ असंतोष चरम पर है । कांग्रेस का हर वो बड़ा सिपाही जिसके जिम्मे यहाँ वर्तमान में पार्टी का दारोमदार है , एक दूसरे को नीचा दिखाने के अलावा और कुछ नहीं करना चाह रहा है ।
सरगुजा जिले में हाल ही में सम्पन्न भटगाँव विधान सभा क्षेत्र के उप चुनाव के नतीजे ने एक बार फ़िर यह साबित किया है कि कांग्रेस को सिवाय कांग्रेस के कोई और नहीं पराजित कर सकता । प्रदेश के जिम्मेदार समझे जाने वाले भाजपा नेता प्रदेश सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि भटगाँव के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के लोगों का अप्रत्यक्ष सहयोग मिला है । सरगुजा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक और भटगाँव उपचुनाव के संचालक टी एस सिंहदेव ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी को दी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस चुनाव में भा ज पा ने यहाँ 10 करोड़ रुपये बांटें हैं । लेनदेन में 07 लाख से लेकर 30 लाख रुपये तक के पैकेट दिये गये हैं । मतदान के दिन दो-दो हजार के पैकेट अलग से बांटे गये हैं । कुछ लोगों को हवाला के जरिये भी पैसे दिये गये हैं ।
कोई आश्चर्य की बात नहीं है , हो भी सकता है ,ऐसा । कांग्रेस में गाँव से लेकर शहर तक का हाल यह है कि पुराने कांग्रेसी नेता - कार्यकर्ता जोगी की सरकार बनते ही उपेक्षित कर दिये गये थे , जो आज भी उपेक्षित हैं । अब तो यह कहिए कि वे सभी उदासीन हो गये हैं । भाजपा की ही तर्ज पर व्यापारी-ठेकेदार , छोटे-बड़े व्यापारी , नवधनाड़य कांग्रेस के कर्ताधर्ता बन बैठे हैं , किसी एक को ड़मी तलाश कर उसकी ताजपोशी कर जातिय समीकरण की राजनीति बनाते-बिगाड़ते रहते हैं । अगड़े-पिछड़े की राजनीति करते हैं जिससे सिवाय उन चन्द बड़े लोगों के किसी और को यहाँ तक कि कांग्रेस को भी कोई फ़ायदा नहीं होता दिखता । एक परिवार तो इस प्रदेश में मानो कांग्रेस को चलाने का ठेका ले रखा है जिसका नाबालिग सा दिखने वाला लड़का बारहों महिने अपने छापाखाने से कांग्रेस के नाम पर केवल 'छ्पाई' करता देखा - सुना जा सकता है । जिनके बड़े अब्बा दिल्ली में बैठे सारा हिसाब-किताब रखते हैं और यहाँ चन्द वर्षों में ही इस बच्चे से दिखने वाले कांग्रेस चालक ने करोड़ों का कारोबार और करोड़ों का ही अपना पैतृक निवास भी रिनोवेट कर लिया है । इनका विरोध यदाकदा प्रदेश के पुर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी मुखर हो कर करते रहे हैं , लेकिन उनके स्वयं के पास भी दुश्मनों की फ़ौज कोई कम नहीं है , जिसकी वजह से उनके विरोध का मायने ही बदल दिया जाता है । भगवान की दया से उनके घर में ही उनके पास एक ऐसा सलाहकार है कि बाहर दुश्मन ना भी हों तो भी उन्हें इसकी कोई कमी नहीं महसूस होगी । यहाँ की कांग्रेस अलग ही है । ध्यान रहे यहाँ मेरा इशारा अमित के लिए नहीं है ।
रही बात कभी कद्दावर कांग्रेस नेता रहे विद्या चरण शुक्ल की तो उनका और उनके चहेतों का हाल भी किसी से छिपा नहीं है । दल बदल कि राजनीति ने मानो उन्हें अब कहीं का भी नहीं छोड़ा है । कभी उनके खास समर्थक रहे चन्द आम लोग अब इतने खास हो गये हैं कि अपनी शर्तों पर कांग्रेस में रहना - चलाना चाहते हैं । जहाँ
पार्टी के लिए - संगठन के लिए अब कोई बड़ा कार्यकर्ता - नेता काम करता नहीं मिलता ,तो भला वो क्यों करें।
विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष पर सता पक्ष के साथ मिले होने का आरोप है । यह मिलान स-अर्थ है । यह स्वयं कांग्रेस जन कहते सुने जा सकते हैं ,जिसकी शिकायत कांग्रेस आलाकमान और राहुल गांधी से भी की जा चुकी है । मगर यह कांग्रेस जहाँ किसी के कान में जूं तक नहीं रेंगती ।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव राहुल गांधी स्वयं छत्तीसगढ़ का दौरा कर कहते हैं यहाँ राजनीति में जातिवाद हावी है - यह क्षेत्र अभी भी पिछड़ा है ।
कांग्रेस की राजनीति को अपने कंधों का सहारा देते देते मर गये यहाँ के बुजुर्ग लेकिन कांग्रेस ने यहां से अपने किसी भी नेता को राज्य सभा के लायक नहीं समझा और मोहसीन किदवई छ्त्तीसगढ़ से राज्य सभा भेजी जाती हैं । भला इससे और बुरा हाल क्या हो सकता है छत्तीसगढ़ का ?
कहने का सीधा सा मतलब है ऊपर से लेकर नीचे तक सभी अपने-अपने स्तर पर लगे हैं यहां कांग्रेस को निपटाने । परेशान हैं सिर्फ़ वो जो सही में यह चाहते हैं कि राज्य में कांग्रेस की स्थिति सुधरे, परेशान हैं छोटे-मंझोले कार्यकर्ता , पुराने लोग । लेकिन इनकी परेशानी से क्या होगा ? कांग्रेस आलाकमान क्या सही में चिंतित होगीं यहाँ पार्टी की दशा से ? यहाँ तो पार्टी चंद नेताओं की जेबी संस्था सी बन गई है, फ़िर भला भाजपा के चतुर-सुजान नेता क्यों न उठाएं इन मौकों का फ़ायदा ?
भगवान ही बचा सकता है छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को ।
सरगुजा जिले में हाल ही में सम्पन्न भटगाँव विधान सभा क्षेत्र के उप चुनाव के नतीजे ने एक बार फ़िर यह साबित किया है कि कांग्रेस को सिवाय कांग्रेस के कोई और नहीं पराजित कर सकता । प्रदेश के जिम्मेदार समझे जाने वाले भाजपा नेता प्रदेश सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि भटगाँव के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के लोगों का अप्रत्यक्ष सहयोग मिला है । सरगुजा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक और भटगाँव उपचुनाव के संचालक टी एस सिंहदेव ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी को दी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस चुनाव में भा ज पा ने यहाँ 10 करोड़ रुपये बांटें हैं । लेनदेन में 07 लाख से लेकर 30 लाख रुपये तक के पैकेट दिये गये हैं । मतदान के दिन दो-दो हजार के पैकेट अलग से बांटे गये हैं । कुछ लोगों को हवाला के जरिये भी पैसे दिये गये हैं ।
कोई आश्चर्य की बात नहीं है , हो भी सकता है ,ऐसा । कांग्रेस में गाँव से लेकर शहर तक का हाल यह है कि पुराने कांग्रेसी नेता - कार्यकर्ता जोगी की सरकार बनते ही उपेक्षित कर दिये गये थे , जो आज भी उपेक्षित हैं । अब तो यह कहिए कि वे सभी उदासीन हो गये हैं । भाजपा की ही तर्ज पर व्यापारी-ठेकेदार , छोटे-बड़े व्यापारी , नवधनाड़य कांग्रेस के कर्ताधर्ता बन बैठे हैं , किसी एक को ड़मी तलाश कर उसकी ताजपोशी कर जातिय समीकरण की राजनीति बनाते-बिगाड़ते रहते हैं । अगड़े-पिछड़े की राजनीति करते हैं जिससे सिवाय उन चन्द बड़े लोगों के किसी और को यहाँ तक कि कांग्रेस को भी कोई फ़ायदा नहीं होता दिखता । एक परिवार तो इस प्रदेश में मानो कांग्रेस को चलाने का ठेका ले रखा है जिसका नाबालिग सा दिखने वाला लड़का बारहों महिने अपने छापाखाने से कांग्रेस के नाम पर केवल 'छ्पाई' करता देखा - सुना जा सकता है । जिनके बड़े अब्बा दिल्ली में बैठे सारा हिसाब-किताब रखते हैं और यहाँ चन्द वर्षों में ही इस बच्चे से दिखने वाले कांग्रेस चालक ने करोड़ों का कारोबार और करोड़ों का ही अपना पैतृक निवास भी रिनोवेट कर लिया है । इनका विरोध यदाकदा प्रदेश के पुर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी मुखर हो कर करते रहे हैं , लेकिन उनके स्वयं के पास भी दुश्मनों की फ़ौज कोई कम नहीं है , जिसकी वजह से उनके विरोध का मायने ही बदल दिया जाता है । भगवान की दया से उनके घर में ही उनके पास एक ऐसा सलाहकार है कि बाहर दुश्मन ना भी हों तो भी उन्हें इसकी कोई कमी नहीं महसूस होगी । यहाँ की कांग्रेस अलग ही है । ध्यान रहे यहाँ मेरा इशारा अमित के लिए नहीं है ।
रही बात कभी कद्दावर कांग्रेस नेता रहे विद्या चरण शुक्ल की तो उनका और उनके चहेतों का हाल भी किसी से छिपा नहीं है । दल बदल कि राजनीति ने मानो उन्हें अब कहीं का भी नहीं छोड़ा है । कभी उनके खास समर्थक रहे चन्द आम लोग अब इतने खास हो गये हैं कि अपनी शर्तों पर कांग्रेस में रहना - चलाना चाहते हैं । जहाँ
पार्टी के लिए - संगठन के लिए अब कोई बड़ा कार्यकर्ता - नेता काम करता नहीं मिलता ,तो भला वो क्यों करें।
विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष पर सता पक्ष के साथ मिले होने का आरोप है । यह मिलान स-अर्थ है । यह स्वयं कांग्रेस जन कहते सुने जा सकते हैं ,जिसकी शिकायत कांग्रेस आलाकमान और राहुल गांधी से भी की जा चुकी है । मगर यह कांग्रेस जहाँ किसी के कान में जूं तक नहीं रेंगती ।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव राहुल गांधी स्वयं छत्तीसगढ़ का दौरा कर कहते हैं यहाँ राजनीति में जातिवाद हावी है - यह क्षेत्र अभी भी पिछड़ा है ।
कांग्रेस की राजनीति को अपने कंधों का सहारा देते देते मर गये यहाँ के बुजुर्ग लेकिन कांग्रेस ने यहां से अपने किसी भी नेता को राज्य सभा के लायक नहीं समझा और मोहसीन किदवई छ्त्तीसगढ़ से राज्य सभा भेजी जाती हैं । भला इससे और बुरा हाल क्या हो सकता है छत्तीसगढ़ का ?
कहने का सीधा सा मतलब है ऊपर से लेकर नीचे तक सभी अपने-अपने स्तर पर लगे हैं यहां कांग्रेस को निपटाने । परेशान हैं सिर्फ़ वो जो सही में यह चाहते हैं कि राज्य में कांग्रेस की स्थिति सुधरे, परेशान हैं छोटे-मंझोले कार्यकर्ता , पुराने लोग । लेकिन इनकी परेशानी से क्या होगा ? कांग्रेस आलाकमान क्या सही में चिंतित होगीं यहाँ पार्टी की दशा से ? यहाँ तो पार्टी चंद नेताओं की जेबी संस्था सी बन गई है, फ़िर भला भाजपा के चतुर-सुजान नेता क्यों न उठाएं इन मौकों का फ़ायदा ?
भगवान ही बचा सकता है छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को ।
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चिंतन
अक्टूबर 06, 2010
फ़िजिक्स का नोबल रशिया मूल के दो युवा वैज्ञानिकों को
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आंद्रे जिम |
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कॉस्टिन नोवोस्लो |
लेबल:
खबर
रसायन का नोबेल तीन वैज्ञानिकों को
स्टॉकहोम। रसायन के क्षेत्र में वर्ष 2010 का नोबेल पुरस्कार दो जापानी और एक अमरीकी वैज्ञानिक को संयुक्त रूप से दिया गया है।
अमरीका के वैज्ञानिक रिचर्ड हेक और जापान के रिसर्चर्स ई ईची नेगिशी और अकीरा सुजुकी को रसासन के क्षेत्र में विशिष्ट खोज के लिए इस साल के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है।
रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के मुताबिक तीनों को यह पुरस्कार "पैलेडियम कैटेलाइज्ड क्रास कपलिंग इन आर्गेनिक सिंथेसिस" के विकास के लिए दिया गया है। यह एक रासायनिक विधि है जिसका इस्तेमाल उन्नत रासायन बनाने में किया जाता है।
अमरीका के वैज्ञानिक रिचर्ड हेक और जापान के रिसर्चर्स ई ईची नेगिशी और अकीरा सुजुकी को रसासन के क्षेत्र में विशिष्ट खोज के लिए इस साल के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है।
रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के मुताबिक तीनों को यह पुरस्कार "पैलेडियम कैटेलाइज्ड क्रास कपलिंग इन आर्गेनिक सिंथेसिस" के विकास के लिए दिया गया है। यह एक रासायनिक विधि है जिसका इस्तेमाल उन्नत रासायन बनाने में किया जाता है।
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मेरी नजर में आर एस एस और सिमी एक है - राहुल
भोपाल में युवाओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने हिंदू दक्षिणपंथी धड़े आरएसएस और प्रतिबंधित संगठन सिमी के बारे में कहा है दोनों में कोई अंतर नहीं है। मेरे लिए दोनों में कोई अंतर नहीं है। उन्होंने कहा कि जो मध्यम मार्ग को अपनाए हुए हैं उनको कांग्रेस से जुड़ना चाहिए।
राहुल के इस बयान के बाद बीजेपी की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आने की उम्मीद है। सिमी एक प्रतिबंधित संस्था है जबकि आरएसएस पर किसी तरह के कोई प्रतिबंध नहीं हैं। राहुल के इस बयान से एक बार फिर राजनीति ने उबाल आने की संभावना है।
जानकारों का कहना है कि वह मध्य प्रदेश में ट्राइबल वोट्स और पिछड़ों के वोट को कांग्रेस की ओर खींचना चाहते हैं। आज राहुल ट्राइबल क्षेत्र बैतुल और संधवा का दौरा करेंगे। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी इन दिनों मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं। उन्हें वहां राजकीय अतिथि का दर्जा दिया है।
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अक्टूबर 05, 2010
08 से नवरात्रि पर्व प्रारंभ
नवरात्रि पर्व 08 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है । नौ दुर्गा के विस्तार पूर्ण अध्ययन के लिए भाग्योत्कर्ष देख सकते हैं ।
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राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के साथ डॉ रमन सिंह सपरिवार
नई दिल्ली में 04अक्टुबर को राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने सपरिवार भेंट कर उन्हें राज्योत्सव में रायपुर आने का निमंत्रण दिया । फ़ोटो में मुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमति वीणा सिंह , पुत्र अभिषेक , पुत्री अस्मिता ।
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अक्टूबर 02, 2010
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श्री राम पटवा जी |
रोज सुबह एक छत पर दो कबूतर मिला करते थे। दोनों में घनिष्ठ मित्रता हो गई थी। एक दिन दूर खेत में दोनों कबूतर दाना चुग रहे थे, उसी समय एक तीसरा कबूतर उनके पास आया और बोला, ''मैं अपने साथियों से बिछड़ गया हूं। कृपया आप मेरी मदद करें।''
दोनों कबूतरों ने आपस में गुटर-गूं किया, ''भटका हुआ अतिथि है.. अतिथि देवो भवः,'' लेकिन प्रश्न खड़ा हुआ कि यह अतिथि रूकेगा किसके यहां? दोनों कबूतर अलग-अलग जगह रहते थे, एक मस्जिद की मीनार पर तो दूसरा मंदिर के कंगूरे पर।

तीसरे दिन 'अतिथि' की भावभीनी विदाई हुई। दोनों मित्र अतिथि कबूतर को दूर तक छोड़ने गए। शाम को जब वे लौटे तो देखा - मंदिर और मस्जिद के कबूतरों में 'अकल्पनीय' लड़ाई हो रही है। इस दृश्य से दोनों स्तब्ध रह गए। बाद में पता चला कि अतिथि कबूतर संसद की गुंबद से आया था।
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चिंतन
अक्टूबर 01, 2010
अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचेगा अयोध्या जमीन विवाद
अयोध्या की विवादित जमीन पर आए ऐतिहासिक फैसले के बाद की घड़ी देश के दोनों बड़े समुदायों को करीब लाने की है। शांति और सौहार्दपूर्ण माहौल के बीच देश के किसी भी हिस्से से अप्रिय घटना की खबर नहीं है। यह हमारे परिपक्व प्रजातंत्र का परिचायक है और इससे देश में हर किसी ने राहत की सांस ली है। फैसले के बाद रात शांति से गुजरी। सभी पक्षों ने फैसले का सम्मान किया है। हालांकि इसके बावजूद सुरक्षा व्यवस्था में कोई ढील नहीं दी गई है। खासतौर से यूपी में सभी जिलों में प्रशासन को अलर्ट रहने को कहा गया है। देश के गृह मंत्री पी चिदम्बरम की इस अवसर पर तारीफ़ की जानी चाहिए , जिन्होंने सारे देश में एक ही समय में सब राज्य सरकारों के साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर दिखाया ।
हालांकि आम आदमी भी शांति ही चाहता है और उसने गुरुवार के फैसले के बाद अपने रवैये से ये जाहिर भी कर दिया है। प्रधानमंत्री से लेकर हर बड़ी शख्सियत लोगों से यही अपील कर रही है कि वे किसी के बहकावे में न आएं और शांति व्यवस्था बनाए रखें।
अयोध्या जमीन विवाद की कानूनी लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट में लड़ी जाएगी। सुन्नी वक्फ बोर्ड और हिन्दू महासभा दोनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है।
हिन्दू महासभा ने कहा है कि वह राम जन्मभूमि को तीन हिस्सों में बांटने के फैसले को चुनौती देगी। उधर, सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने भी कहा है कि एक-तिहाई जमीन के बंटवारे का फॉर्मूला मान्य नहीं है। हाईकोर्ट में दावा खारिज होने पर उन्होंने कहा कि वह मस्जिद का दावा नहीं छोड़ने वाले हैं और सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। जिलानी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला करेगा, वह उसे मंजूर करेंगे।
इस ऐतिहासिक फैसले के लिए तीन जजों की बेंच ने अलग-अलग फैसले दिए। लेकिन ऐसा कम होता है कि तीन जज बिल्कुल अपना−अपना अलग फैसला लिखें। इस बार तीन जजों ने कुछ ऐसा ही किया। एक ने कहा कि पूरा विवादित परिसर रामजन्मभूमि के नाम कर दिया जाए। बाकी दो की राय कुछ अलग दिखी।
अदालत के सामने कई अहम सवाल थे। 60 साल से चल रहे मुकदमे का फैसला आसान नहीं था। कई सवालों पर जजों की राय बंटी। काफी सवाल ऐसे थे जिन पर आम राय दिखी।
पहला सवाल- क्या यहां मस्जिद थी?
जस्टिस एसयू खान ने कहा- हां।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने भी कहा, हां, मुसलमानों ने हमेशा इसे मस्जिद माना है।
जस्टिस धर्मवीर शर्मा ने कहा, नहीं, क्योंकि ये इस्लाम की परंपरा के खिलाफ बनाई गई थी।
फिर भी बहुमत से फैसला रहा- हां।
दूसरा सवाल- क्या विवादित भूमि राम की जन्मभूमि है?
जस्टिस एसयू खान ने कहा मस्जिद बनने के बाद हिन्दुओं ने इसे राम जन्मभूमि माना।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने भी कहा हां, हिन्दुओं की यही मान्यता है।
जस्टिस - धर्मवीर शर्मा ने भी कहा हां।
यानी सबकी राय− हां।
अगला सवाल- क्या मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को गिराया गया था?
जस्टिस एसयू खान ने कहा- नहीं यह एक उजाड़ मंदिर के खंडहर पर बनाया गया था।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल बोले, हां एक गैर-इस्लामी ढांचे यानी हिन्दू मंदिर को गिराया गया था।
जस्टिस धर्मवीर शर्मा ने कहा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी (एएसआई) ने साबित किया है कि एक बड़ा हिन्दू धार्मिक ढांचा गिराया गया था।
बहुमत− हां
एक और सवाल− क्या मूर्तियां 22−23 दिसंबर, 1949 की रात रखीं गई थीं।
जस्टिस एसयू खान− हां
जस्टिस सुधीर अग्रवाल− हां
जस्टिस डीवी शर्मा− हां
बहुमत− हां।
सवाल ये भी था कि क्या ये जगह हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों से जुड़ी है।
जस्टिस एसयू खान ने कहा- हां
जस्टिस सुधीर अग्रवाल भी बोले− हां
जस्टिस डीवी शर्मा ने कहा- नहीं, सिर्फ हिन्दुओं से
बहुमत− हां
एक और अहम सवाल- क्या राम की मूर्ति मुख्य गुंबद के नीचे रहनी चाहिए?
जस्टिस एसयू खान− हां
जस्टिस सुधीर अग्रवाल− हां
जस्टिस डीवी शर्मा− हां
बहुमत− हां
सवाल यह भी था कि जमीन का बंटवारा कैसे होगा?
जस्टिस एसयू खान ने कहा कि तीनों को एक तिहाई हिस्सा मिले। मुख्य गुंबद हिन्दुओं को, सीता की रसोई और राम का चबूतरा निर्मोही अखाड़ा को।
सुधीर अग्रवाल ने कहा तीनों को एक-तिहाई हिस्सा मिले। मुख्य गुंबद हिन्दुओं को, सीता की रसोई और राम का चबूतरा निर्मोही अखाड़ा को।
जस्टिस डीवी शर्मा ने कहा मंदिर के निर्माण में मुसलमान हस्तक्षेप न करें।
बहुमत− तीनों को एक-तिहाई हिस्सा मिले। मुख्य गुंबद हिन्दुओं को, सीता की रसोई और राम का चबूतरा निर्मोही अखाड़ा को।
हालांकि आम आदमी भी शांति ही चाहता है और उसने गुरुवार के फैसले के बाद अपने रवैये से ये जाहिर भी कर दिया है। प्रधानमंत्री से लेकर हर बड़ी शख्सियत लोगों से यही अपील कर रही है कि वे किसी के बहकावे में न आएं और शांति व्यवस्था बनाए रखें।
अयोध्या जमीन विवाद की कानूनी लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट में लड़ी जाएगी। सुन्नी वक्फ बोर्ड और हिन्दू महासभा दोनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है।
हिन्दू महासभा ने कहा है कि वह राम जन्मभूमि को तीन हिस्सों में बांटने के फैसले को चुनौती देगी। उधर, सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने भी कहा है कि एक-तिहाई जमीन के बंटवारे का फॉर्मूला मान्य नहीं है। हाईकोर्ट में दावा खारिज होने पर उन्होंने कहा कि वह मस्जिद का दावा नहीं छोड़ने वाले हैं और सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। जिलानी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला करेगा, वह उसे मंजूर करेंगे।
इस ऐतिहासिक फैसले के लिए तीन जजों की बेंच ने अलग-अलग फैसले दिए। लेकिन ऐसा कम होता है कि तीन जज बिल्कुल अपना−अपना अलग फैसला लिखें। इस बार तीन जजों ने कुछ ऐसा ही किया। एक ने कहा कि पूरा विवादित परिसर रामजन्मभूमि के नाम कर दिया जाए। बाकी दो की राय कुछ अलग दिखी।
अदालत के सामने कई अहम सवाल थे। 60 साल से चल रहे मुकदमे का फैसला आसान नहीं था। कई सवालों पर जजों की राय बंटी। काफी सवाल ऐसे थे जिन पर आम राय दिखी।
पहला सवाल- क्या यहां मस्जिद थी?
जस्टिस एसयू खान ने कहा- हां।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने भी कहा, हां, मुसलमानों ने हमेशा इसे मस्जिद माना है।
जस्टिस धर्मवीर शर्मा ने कहा, नहीं, क्योंकि ये इस्लाम की परंपरा के खिलाफ बनाई गई थी।
फिर भी बहुमत से फैसला रहा- हां।
दूसरा सवाल- क्या विवादित भूमि राम की जन्मभूमि है?
जस्टिस एसयू खान ने कहा मस्जिद बनने के बाद हिन्दुओं ने इसे राम जन्मभूमि माना।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने भी कहा हां, हिन्दुओं की यही मान्यता है।
जस्टिस - धर्मवीर शर्मा ने भी कहा हां।
यानी सबकी राय− हां।
अगला सवाल- क्या मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को गिराया गया था?
जस्टिस एसयू खान ने कहा- नहीं यह एक उजाड़ मंदिर के खंडहर पर बनाया गया था।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल बोले, हां एक गैर-इस्लामी ढांचे यानी हिन्दू मंदिर को गिराया गया था।
जस्टिस धर्मवीर शर्मा ने कहा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी (एएसआई) ने साबित किया है कि एक बड़ा हिन्दू धार्मिक ढांचा गिराया गया था।
बहुमत− हां
एक और सवाल− क्या मूर्तियां 22−23 दिसंबर, 1949 की रात रखीं गई थीं।
जस्टिस एसयू खान− हां
जस्टिस सुधीर अग्रवाल− हां
जस्टिस डीवी शर्मा− हां
बहुमत− हां।
सवाल ये भी था कि क्या ये जगह हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों से जुड़ी है।
जस्टिस एसयू खान ने कहा- हां
जस्टिस सुधीर अग्रवाल भी बोले− हां
जस्टिस डीवी शर्मा ने कहा- नहीं, सिर्फ हिन्दुओं से
बहुमत− हां
एक और अहम सवाल- क्या राम की मूर्ति मुख्य गुंबद के नीचे रहनी चाहिए?
जस्टिस एसयू खान− हां
जस्टिस सुधीर अग्रवाल− हां
जस्टिस डीवी शर्मा− हां
बहुमत− हां
सवाल यह भी था कि जमीन का बंटवारा कैसे होगा?
जस्टिस एसयू खान ने कहा कि तीनों को एक तिहाई हिस्सा मिले। मुख्य गुंबद हिन्दुओं को, सीता की रसोई और राम का चबूतरा निर्मोही अखाड़ा को।
सुधीर अग्रवाल ने कहा तीनों को एक-तिहाई हिस्सा मिले। मुख्य गुंबद हिन्दुओं को, सीता की रसोई और राम का चबूतरा निर्मोही अखाड़ा को।
जस्टिस डीवी शर्मा ने कहा मंदिर के निर्माण में मुसलमान हस्तक्षेप न करें।
बहुमत− तीनों को एक-तिहाई हिस्सा मिले। मुख्य गुंबद हिन्दुओं को, सीता की रसोई और राम का चबूतरा निर्मोही अखाड़ा को।
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